यकीनों की जल्दबाज़ी से
एक बार खबर उड़ी कि कविता अब कविता नहीं रही और यूं फैली कि कविता अब नहीं रही! यकीन करनेवालों ने यकीन कर लिया कि कविता मर गई लेकिन शक करने वालों ने शक किया कि ऐसा हो ही नहीं सकता और इस तरह बच गई कविता की जान ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि यकीनों की जल्दबाज़ी से महज़ एक शक ने बचा लिया हो किसी बेगुनाह को।

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