एक यात्रा के दौरान / सात
क्यों किसी की सन्दूक का कोना अचानक मेरी पिण्डली में गड़ने लगा ? क्यों मेरे सिर के ठीक ऊपर टिका गिरने-गिरने को वह बिस्तर अखरने लगा ? कौन हैं वे ? क्यों मेरी चिन्ताओं का एक कोना उनसे भरने लगा ?- मेरी एक ओर बैठा वह विक्षिप्त –सा युवक, मेरी दूसरी ओर वह चिन्तित स्त्री, अपने बच्चेको छाती से चिपकाये दोनों के बीच मैं कौन हूँ -- केवल एक आरक्षित जगह का दावेदार ? वह स्त्री और वह बच्चा क्यों नहीं दो मनुष्यों के बीच एक पूर्णतः सुरक्षित संसार ? क्यों यह निरन्तर आने जाने का क्रम अनाश्वस्त करता - और उस पूरी व्यवस्था को ध्वस्त जिस हम किसी तरह दो स्टेशनों के बीच मान लेते हैं ? जो अनायास मिलता और छूट जाता क्यों ऐसा मानो कुछ बनता और टूट जाता ?

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