गुड़िया
मेले से लाया हूँ इसको छोटी सी प्‍यारी गुड़िया, बेच रही थी इसे भीड़ में बैठी नुक्‍कड़ पर बुढ़िया मोल-भव करके लया हूँ ठोक-बजाकर देख लिया, आँखें खोल मूँद सकती है वह कहती पिया-पिया। जड़ी सितारों से है इसकी चुनरी लाल रंग वाली, बड़ी भली हैं इसकी आँखें मतवाली काली-काली। ऊपर से है बड़ी सलोनी अंदर गुदड़ी है तो क्‍या? ओ गुड़िया तू इस पल मेरे शिशुमन पर विजयी माया। रखूँगा मैं तूझे खिलौने की अपनी अलमारी में, कागज़ के फूलों की नन्‍हीं रंगारंग फूलवारी में। नए-नए कपड़े-गहनों से तुझको राज़ सजाऊँगा, खेल-खिलौनों की दुनिया में तुझको परी बनाऊँगा।

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