आँसू की आँखों से मिल
आँसू की आँखों से मिल भर ही आते हैं लोचन, हँसमुख ही से जीवन का पर हो सकता अभिवादन। अपने मधु में लिपटा पर कर सकता मधुप न गुंजन, करुणा से भारी अंतर खो देता जीवन-कंपन विश्वास चाहता है मन, विश्वास पूर्ण जीवन पर; सुख-दुख के पुलिन डुबा कर लहराता जीवन-सागर! दुख इस मानव-आत्मा का रे नित का मधुमय-भोजन, दुख के तम को खा-खा कर भरती प्रकाश से वह मन। अस्थिर है जग का सुख-दुख, जीवन ही नित्य, चिरंतन! सुख-दुख से ऊपर, मन का जीवन ही रे अवलंबन!

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