सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन
सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन, चिर सुन्दर सुख-दुख का मन, सुन्दर शैशव-यौवन रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन! सुन्दर वाणी का विभ्रम, सुन्दर कर्मों का उपक्रम, चिर सुन्दर जन्म-मरण रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन! सुन्दर प्रशस्त दिशि-अंचल, सुन्दर चिर-लघु, चिर-नव पल, सुन्दर पुराण-नूतन रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन! सुन्दर से नित सुन्दरतर, सुन्दरतर से सुन्दरतम, सुन्दर जीवन का क्रम रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन!

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