देखूँ सबके उर की डाली
देखूँ सबके उर की डाली-- किसने रे क्या क्या चुने फूल जग के छबि-उपवन से अकूल? इसमें कलि, किसलय, कुसुम, शूल! किस छबि, किस मधु के मधुर भाव? किस रँग, रस, रुचि से किसे चाव? कवि से रे किसका क्या दुराव! किसने ली पिक की विरह-तान? किसने मधुकर का मिलन-गान? या फुल्ल-कुसुम, या मुकुल-म्लान? देखूँ सबके उर की डाली-- सब में कुछ सुख के तरुण-फूल, सब में कुछ दुख के करुण-शूल;-- सुख-दुःख न कोई सका भूल?

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