धर्म वंचकों को यदि मुझसे
धर्म वंचकों को यदि मुझसे कभी मित्रता हो स्वीकार वे मेरे दुःखों के बदले इतना मात्र करें उपकार,-- मेरे मरने बाद देह की रज से ईंटें कर तैयार चुनवा दें वे मदिरालय के खँडहर की टूटी दीवार!

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