लताद्रुमों खग पशु कुसुमों में
लता द्रुमों, खग पशु कुसुमों में सकल चराचर में अविकार भरी लबालब जीवन मदिरा उमर कह रहा सोच विचार! पान पात्र हों भले टूटते मदिरालय में बारंबार लहराती ही सदा रहेगी जग में बहती मदिराधार!

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