निस्तल यह जीवन रहस्य
निस्तल यह जीवन रहस्य, यदि थाह न मिले, वृथा है खेद! सौ मुख से सौ बातें कहलें लोग भले, तू रह अक्लेद! सूक्ष्म हृदय इस मुक्ताफल का कभी न कोई पाया बेध, गोपन सत्य रहा नित गोपन, भेद रहा चिर अविदित भेद!

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