यहाँ उमर के मदिरालय में
यहाँ उमर के मदिरालय में कोई नहीं दुखी या दीन, सब की इच्छा पूरी करती सुरा, बना सबको स्वाधीन! जब तक आशा श्वासा उर में सखे, करो मदिराधर पान, क्षण भर को भी रहे न मानस जग की चिन्ता में तल्लीन!

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