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जिसके उर का अंध कूप
जिसके उर का अंध कूप
Sumitranandan Pant
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Hindi
जिसके उर का अंध कूप हो उठा प्रीति जल से परिप्लावित, हँसने रोने में न गँवाता वह अमूल्य जीवन क्षण निश्चित! प्रिय चरणों पर उमर निछावर चखता स्वतः स्फुरित मदिरामृत, लाला के रँग की हाला भर पीता बाला के सँग प्रमुदित!
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Chhotaladka
January 16, 2017
Added by
Chhotaladka
January 16, 2017
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