अंधकार में लिखा हुआ जो
अंधकार में लिखा हुआ जो कौन पढ़ सका उसका भेद? इस निगूढ़ जग का रहस्य चिर अविदित, सखे, करो मत खेद! जिसे सुधार सके न पार कर ज्ञानी, गुणी, यती, धीमान् उसी अंध बीथी का क्या तुम आज करोगे अनुसंधान! आओ, वृद्ध उमर के संग सब बैठ, करो क्षण मदिरा पान, स्वर्ग प्राप्ति का, स्वर्ग भोग का तुमने अगर लिया व्रत ठान!

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