वीणा वंशी के दो स्वर जब
वीणा वंशी के दो स्वर जब हो जाते आपस में लय, प्रिये, हमारा मधुर मिलन भी हो सकता सुखमय निश्वय! मदिरा की विस्मृति में जब दो हृदयों का होता विनिमय, उन्हें न बिछुड़ा सकता कोई, इसमें नहीं तनिक संशय!

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