सुरापान को, प्रणय गान को
सुरा पान को, प्रणय गान को सखे, समझते जो अपराध, जो रूखे सूखे साधू हैं, भाता जिनको वाद विवाद; स्वर्ग लोक जाकर वे उसको कर देंगे नीरस, छबि हीन, स्वर्ग प्राप्ति से तब क्या फल? हम यहीं सुरा पी हरें विषाद!

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