यदि मदिरा मिलती हो तुझको
यदि मदिरा मिलती हो तुझको व्यर्थ न कर, मन, पश्चाताप, सौ सौ वंचक तुझको घेरे करें भले ही आर्त प्रलाप! ऐसे समय सुहाता किसको नीरस मनस्ताप, ख़ैयाम, फाड़ रही जब कलिका अंचल, बुलबुल करती प्रेमालाप!

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