छलक नत नीलम घट से मौन
छलक नत नीलम घट से मौन मुसकुराती आती जब प्रात, स्फटिक प्याली कर में धर, बंधु, ढाल मदिरा का फेन प्रपात! लोग कहते, सुनता ख़ैयाम, सत्य कटु होता, यह प्रख्यात! सुरा कड़वी है सबको ज्ञात, पान करना ही सच्ची बात!

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