नवल हर्षमय नवल वर्ष यह
नवल हर्षमय नवल वर्ष यह, कल की चिन्ता भूलो क्षण भर; लाला के रँग की हाला भर प्याला मदिर धरो अधरों पर! फेन-वलय मृदु बाँह पुलकमय स्वप्न पाश सी रहे कंठ में, निष्ठुर गगन हमें जितने क्षण प्रेयसि, जीवित धरे दया कर!

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