जब तुम किसी मधुर अवसर पर
जब तुम किसी मधुर अवसर पर मिलो कहीं हे बंधु, परस्पर, एक दूसरे पर हो जाओ तुम अपने को भूल निछावर! जब हँसमुख साक़ी आ सुंदर अधरों पर धर दे मदिराधर, वृद्ध उमर को भी तब क्षण भर कर लेना तुम याद दया कर!

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