अगर साक़ी तेरा पागल
अगर साक़ी, तेरा पागल न हो तुझमें तन्मय, तल्लीन, उमर वह मृत्यु दंड के योग्य भले हो वह मंसूर नवीन! सुरा पीकर हो वह विस्मृत, भजन पूजन में हो कि प्रवीण, नहीं वह दया क्षमा के योग्य भक्ति श्रद्धा से यदि वह हीन!

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