हुआ इस जग में ऐसा कौन
हुआ इस जग में ऐसा कौन विषय रस किया न जिसने पान? मिला ऐसा निर्मल न स्वभाव रहा अघ से जो चिर अनजान! अगर हों वृद्ध उमर में दोष न साक़ी, करना उस पर रोष! घात के प्रति करना आघात तुम्हारा रहा न कभी विधान!

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