बाला सुन्दर हाला घट भर
बाला सुंदर, हाला घट-भर, उमर हमारे प्रिय सहचर नित! उर का सुख दीपक बन हँसमुख सुहृद् सभा करता आलोकित! प्रेम अशन, आनन्द वसन, तन पुलक-अंकुरित, हृदय-उल्लसित, जो कुछ प्रियतर, सुखद मनोहर सखे, हमारे लिए विनिर्मित!

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