श्यामल दूर्वा पुलकित भूतल
श्यामल, दूर्वा दल स्मित भूतल, रंग भरा फूलों का अंचल, यह क्या कुछ कम? उस पर शबनम कँपती पंखड़ियों पर चंचल! चुवा चुवा नव कुसुमों का रँग साक़ी, हाला से भर अंतर, फिर न रहेगी यह बहार, हम तुम, तृण, शबनम, कुसुम, पात्र भर!

Read Next