कल कल छल छल सरिता का जल
कल कल छल छल सरिता का जल बहता छिन छिन! मर्मर सन सन वन्य समीरण से जाते दिन! कल का क्या दुख? आज से विमुख मत हो अंतर! हृदय द्विधा हर, प्रणय सुधा कर पान निरंतर!

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