उमर मत माँग दया का दान
उमर मत माँग दया का दान, जगत छल का मत कर विश्वास! चाहता विभव-भोग, सम्मान? ओस जल से कब बुझती प्यास! धीर बन, सुख दुख में रह शांत, विश्व मरुथल, सुख मृग जल भ्रांत! पान कर, मदिराधर कर पान, इसी में स्वर्ग, मुक्ति, कल्याण!

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