सरिता से बहते जाते
सरिता से बहते जाते चंचल जीवन पल, आदि अंत अज्ञात, ज्ञात बस फेनिल कल कल! हार गए सब खोज, मिली पर थाह न निस्तल, डूब गया जो, पाया उसने भेद, वह सफल!

Read Next