पाप न कर खै़याम
पाप न कर ख़ैयाम, पाप कर मत कर पश्चाताप! व्यर्थ ग्लानि संताप न इससे मिटता उर का ताप! पापी, दुर्गुण ग्राम ईश से पाते क्षमाऽभिराम; प्रभु चिर करुणावान, पाप-भय से रे फिर क्या काम?

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