फेन ग्रथित जल हरित शष्प दल
फेन ग्रथित जल, हरित शष्प दल, जिससे सरित पुलिन आलिंगित, उस पर मत चल, वह चिर कोमल ललना की रोमावलि पुलकित! गुल लाला सम मुख छबि निरुपम उस मृग नयनी की थी सस्मित, वह मुकुलित तन आज धूलि बन हुआ कूल दूर्वादल मंडित!

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