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भला कैसे कोई निःसार
भला कैसे कोई निःसार
Sumitranandan Pant
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Hindi
भला कैसे कोई निःसार स्वप्न पर जाए जग के वार? हँस रही जहाँ अश्रुजल माल विभव सुख के ओसों की डार! अथक श्रम से सुख सेज सँवार लेटता जब तू शोक बिसार, बज्र स्वर में कहता द्रुत काल अरे उठ, ग़ाफ़िल, चल उस पार!
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Chhotaladka
January 16, 2017
Added by
Chhotaladka
January 16, 2017
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