छूट जाएँ जब तन से प्राण
छूट जावें जब तन से प्राण सुरा में मुझे कराना स्नान! सुरा, साक़ी, प्याली का नाम सुनाना मुझे उमर अविराम! खोजना चाहे कोई भूल मुझे मेरे मरने के बाद, पांथशाला की सूँघे धूल, दिलाएगी वह मेरी याद!

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