अधर घट में भर मधु मुसकान
अधर घट में भर मधु मुस्कान मूर्ति बोली, ‘ऐ निष्ठावान, तुझे क्यों भाया यह उपचार-- भजन, पूजन, दीपन, शृंगार!’ भक्त बोला, ‘जिसने अनजान दिए हम दोनों को दो रूप, उसी ने मुझे उपासक, प्राण! बनाया तुम्हें उपास्य अनूप!

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