बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास
बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास, पिलाता जा, बढ़ती जा प्यास! सुनेगा तू ही यदि न पुकार मिलेगा कैसे पार? स्वप्न मादक प्याली में आज डुबादे लोक लाज, जग काज, हुआ जीवन से, सखे, निराश, बाँध, निज भुज मद पाश!

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