खोल कर मदिरालय का द्वार
खोलकर मदिरालय का द्वार प्रात ही कोई उठा पुकार मुग्ध श्रवणों में मधु रव घोल, जाग उन्मद मदिरा के छात्र! ढुलक कर यौवन मधु अनमोल शेष रह जाय नहीं मृद् मात्र ढाल जीवन मदिरा जी खोल लबालब भर ले उर का पात्र!

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