मंगल स्तवन
अमित तेज तुम, तेज पूर्ण हो जनगण जीवन दिव्य वीर्य तुम वीर्य युक्त हों सबके तम मन! दीप्त औज बल तुम बल ओज करें हम धारण शुद्ध मन्यु तुम, करें मन्यु से कलुष निवारण! तुम चिर सह, हम सहन कर सकें धीर शांत बन पूर्ण बनें हम सोम, सत्य पथ करें सब ग्रहण! ज्ञान ज्योति का दिव्य चक्षु सामने अब उदित, देखें हम शत शरद, शरद शत सुनें भद्र नित! बोलें हम शत शरद, शरद शत तक हों जीवित ऐश्वर्यों में रहें शरद शत दैन्य से रहित! शत शरदों से अधिक सुनें देखें हम निश्चित तन मन आत्मा के वैभव से युक्त अपरिमित! स्वर्ग शांति दे, अंतरिक्ष दे शांति निरंतर पृथ्वी शांति, शांति जल, ओषधि शांति दें अमर! विश्व देव दें शांति, वनस्पति शांति दे सदा ब्रह्म शांति दें, सर्व शांति दें शांति सर्वदा! शांति शांति दे हमें, शांति हो व्यापक उष्मक शांति धाम यह धरा बने, हो चिर मन मादक!

Read Next