विनय
मा! मेरे जीवन की हार तेरा मंजुल हृदय-हार हो, अश्रु-कणों का यह उपहार; मेरे सफल-श्रमों का सार तेरे मस्तक का हो उज्जवल श्रम-जलमय मुक्तालंकार। मेरे भूरि-दुखों का भार तेरी उर-इच्छा का फल हो, तेरी आशा का शृंगार; मेरे रति, कृति, व्रत, आचार मा! तेरी निर्भयता हों नित तेरे पूजन के उपचार-- यही विनय है बारम्बार।

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