प्राण! तुम लघु-लघु गात
प्राण! तुम लघु-लघु गात! नील-नभ के निकुंज में लीन, नित्य नीरव, निःसंग नवीन, निखिल छबि की छबि! तुम छबि-हीन, अप्सरी-सी अज्ञात! अधर मर्मर-युत, पुलकित अंग, चूमतीं चल-पद चपल-तरंग, चटकतीं कलियाँ पा भ्रू-संग, थिरकते तृण, तरु-पात। हरित-द्युति चंचल-अंचल-छोर, सजल-छबि, नील-कंचु, तन-गौर, चूर्ण-कच, साँस सुगन्ध-झकोर, परों में सायं-प्रात! विश्व-हृत-शतदल निभृत-निवास, अहर्निश साँस-साँस में लास, अखिल जग-जीवन हास-विलास, अदृश्य, अस्पृश्य, अजात!

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