नीरव-तार हृदय में
नीरव-तार हृदय में, गूँज रहे हैं मंजुल-लय में; अनिल-पुलक से अरुणोदय में। नीरव-तार हृदय में— चरण-कमल में अर्पण कर मन, रज-रंजित कर तन, मधुरस-मज्जित कर मम जीवन, चरणामृत-आशय में। नीरव-तार हृदय में— नित्य-कर्म-पथ पर तत्पर धर, निर्मल कर अन्तर, पर-सेवा का मृदु पराग-भर, मेरे मधु-संचय में। नीरव-तार हृदय में—

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