कलरव किसको नहीं सुहाता
कलरव किसको नहीं सुहाता? कौन नहीं इसको अपनाता? यह शैशव का सरल हास है, सहसा उर से है आ जाता! कलरव किसको नहीं सुहाता? कौन नहीं इसको अपनाता? यह ऊषा का नव-विकास है, जो रज को है रजत बनाता! कलरव किसको नहीं सुहाता? कौन नहीं इसको अपनाता? यह लघु लहरों का विलास है, कलानाथ जिसमें खिंच आता!

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