सागर की लहर लहर में
सागर की लहर लहर में है हास स्वर्ण किरणों का, सागर के अंतस्तल में अवसाद अवाक् कणों का! यह जीवन का है सागर, जग-जीवन का है सागर; प्रिय प्रिय विषाद रे इसका, प्रिय प्रि’ आह्लाद रे इसका। जग जीवन में हैं सुख-दुख, सुख-दुख में है जग जीवन; हैं बँधे बिछोह-मिलन दो देकर चिर स्नेहालिंगन। जीवन की लहर-लहर से हँस खेल-खेल रे नाविक! जीवन के अंतस्तल में नित बूड़-बूड़ रे भाविक!

Read Next