चित्रकरी
जीवन चित्रकरी हे सृजन आनंद परी हे, करो कुसुमित वसुधा पर स्वर्ण की किरण तूलि धर नव्य जीवन सौन्दर्य अमर जग की छबि रेखाओं में रूप रंग भर! सूक्ष्म दर्शन से प्रेरित करो जग जीवन चित्रित मधुर मानवता का मुख अंतर आभा से कर मंडित! जीवन चित्रकरी हे, सृजन सौन्दर्य परी हे, खो गए भेदों में जन अहम् में सुप्त अब परम प्रेम विश्वास शौर्य स्वर्णिम आशा से भर दो जन मन! अरुण अनुराग रँगो घन शांति के शुभ्र हों वसन हरित रँग शक्ति पीत रँग भक्ति ज्ञान का नील हो गगन! जीवन चित्रकरी हे सृजन ऐश्वर्य परी हे देह सौन्दर्य गठित हो प्राण आनंद सरित हों दृष्टि नव स्वप्न जड़ित हो स्वर्ण चेतना से जग जीवन आलोकित हो!

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