आवाहन
फिर वीणा मधुर बजाओ! वाणी नव स्वर में गाओ! उर के कंपित तारों में झंकार अमर भर जाओ! उन्मेषित हो अंतर स्पंदित प्राणों के स्तर, नव युग के सौन्दर्य ज्वार में जीवन तृषा डुबाओ! ज्योतित हो मानव मन, निर्मित नव भव जीवन, देश जाति वर्णों से निखरे नव मानवपन! शोभा हो, श्री सुषमा धरणि स्वर्ग की उपमा दिव्य चेतना की जग में स्वर्णिम किरणें बरसाओ! फिर वीणा मधुर बजाओ!

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