Bismil Azimabadi
( 1901 - 1978 )

Bismil Azimabadi (Hindi: बिस्मिल अज़ीमाबादी) was an Urdu poet from Patna, Bihar. In 1921 he wrote the patriotic poem Sarfaroshi ki Tamanna. The poem was immortalised by Ram Prasad Bismil, an Indian freedom fighter, as a war cry during the British Raj period in India. More

मजबूरियों को अपनी कहें क्या किसी से हम लाए गए हैं, आए नहीं हैं ख़ुशी से हम...

दास्ताँ पूरी न होने पाई ज़िंदगी ख़त्म हुई जाती है...

'बिस्मिल' बुतों का इश्क़ मुबारक तुम्हें मगर इतने निडर न हो कि ख़ुदा का भी डर न हो...

अल्लाह तेरे हाथ है अब आबरू-ए-शौक़ दम घुट रहा है वक़्त की रफ़्तार देख कर...

देखा न तुम ने आँख उठा कर भी एक बार गुज़रे हज़ार बार तुम्हारी गली से हम...

इक ग़लत सज्दे से क्या होता है वाइज़ कुछ न पूछ उम्र भर की सब रियाज़त ख़ाक में मिल जाए है...

एक दिन वो दिन थे रोने पे हँसा करते थे हम एक ये दिन हैं कि अब हँसने पे रोना आए है...

हँसी 'बिस्मिल' की हालत पर किसी को कभी आती थी अब आती नहीं है...

ग़ैरों ने ग़ैर जान के हम को उठा दिया बैठे जहाँ भी साया-ए-दीवार देख कर...

ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है चमन वालों को नींद आती नहीं है...