Kunwar Narayan
( 1927 - 2017 )

Kunwar Narain (Hindi: कुंवर नारायण) is a poet in Indian literature, often regarded as the leading living poet in Hindi. He has read and traveled widely and written over the last six decades. Linked to the New Poetry movement, he publishes selectively and is characteristically polite. More

कभी कभी शब्दों की तरफ़ से भी दुनिया को देखता हूँ। किसी भी शब्द को एक आतशी शीशे की तरह...

प्लास्टिक के पेड़ नाइलॉन के फूल रबर की चिड़ियाँ टेप पर भूले बिसरे...

एक हरा जंगल धमनियों में जलता है। तुम्हारे आँचल में आग... चाहता हूँ झपटकर अलग कर दूँ तुम्हें उन तमाम संदर्भों से जिनमें तुम बेचैन हो...

प्रियजन मैं बहुत जल्दी में लिख रहा हूं क्योंकि मैं बहुत जल्दी में हूं लिखने की जिसे आप भी अगर...

उदासी भी एक पक्का रंग है जीवन का उदासी के भी तमाम रंग होते हैं जैसे...

मेले से लाया हूँ इसको छोटी सी प्‍यारी गुड़िया, बेच रही थी इसे भीड़ में बैठी नुक्‍कड़ पर बुढ़िया...

गले तक धरती में गड़े हुए भी सोच रहा हूँ कि बँधे हों हाथ और पाँव तो आकाश हो जाती है उड़ने की ताक़त...

एक बार खबर उड़ी कि कविता अब कविता नहीं रही और यूं फैली कि कविता अब नहीं रही!...

आश्चर्य ! वह स्त्री और बच्चा भी अकेले खड़े हैं उधर। क्या मैं कुछ कर सकता हूँ उनके लिए ? स्त्री मुझे निरीह आँखों से देखती है -...

कुछ लोग मुझे लेने आये हैं। मैं उन्हें नहीं जानता : जैसे कुछ लोग मुझे छोड़ने आये थे जिन्हें मैं जानता था।...