Bashir Badr
( 1935 )

Bashir Badr (Hindi: बशीर बद्र), born Syed Muhammad Bashir on 15 February 1935, is an Indian poet of Urdu. More

न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा...

न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की...

मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी...

मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई मुझे एक मुट्ठी ज़मीन दे ये ज़मीन कितनी सिमट गई तिरी याद आए तो चुप रहूँ ज़रा चुप रहूँ तो ग़ज़ल कहूँ ये अजीब आग की बेल थी मिरे तन-बदन से लिपट गई...

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा...

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए...

उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है...

वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है...

मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा जाने क्या थी बात मैं जागा किया रोता रहा शबनमी में धूप की जैसे वतन का ख़्वाब था लोग ये समझे मैं सब्ज़े पर पड़ा सोता रहा...

किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे...