Sayyad Ibrahim
Raskhan
( 1548 - 1628 )

Raskhan (born 1548 A.D.) was a poet who was both a Muslim and a follower(bhakt) of Lord Krishna. His birth name was Sayyad Ibrahim and is known to have lived in Amroha, India. Raskhan (रसखान) was his pen name which means Mine of Ras (nectar) in hindi. More

मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन। जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥...

आवत है वन ते मनमोहन, गाइन संग लसै ब्रज-ग्वाला। बेनु बजावत गावत गीत, अभीत इतै करिगौ कछु रत्याना। हेरत हेरित चकै चहुँ ओर ते झाँकी झरोखन तै ब्रजबाला। देखि सुआनन को रसखनि तज्यौ सब द्योस को ताप कसाला।...

कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के मानिक लाइ सदा झलकेयत। प्रात ही ते सगरी नगरी। नाग-मोतिन ही की तुलानि तलेयत।...

आयो हुतो नियरे रसखानि कहा कहुं तू न गई वहि ठैयाँ या ब्रज में सिगरी बनिता सब बारति प्राननि लेति बलैया कोऊ न काहु की कानि करै कछु चेटक सी जु करयो जदुरैया गाइगो तान जमाइगो नेह रिझाइगो प्रान चराइगो गैया...

गाई दहाई न या पे कहूँ, नकहूँ यह मेरी गरी, निकस्थौ है। धीर समीर कालिंदी के तीर, टूखरयो रहे आजु ही डीठि परयो है।...

फागुन लाग्यौ सखि जब तें, तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यौ है । नारि नवेली बचै नहीं एक, विसेष इहैं सबै प्रेम अँच्यौ है ॥ साँझ-सकारे कही रसखान सुरंग गुलाल लै खेल रच्यौ है । को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है ॥...

मोर के चंदन मोर बन्यौ दिन दूलह हे अली नंद को नंद। श्री कृषयानुसुता दुलही दिन जोरी बनी विधवा सुखकंदन। आवै कहयो न कुछु रसखानि री दोऊ फंदे छवि प्रेम के फंदन। जाहि बिलोकैं सबै सुख पावत ये ब्रज जीवन हैं दुख ढ़ंढन।...

जेहि बिनु जाने कछुहि नहिं जान्यों जात बिसेस सोई प्रेम जेहि आन कै रही जात न कछु सेस प्रेम फाँस सो फँसि मरै सोई जियै सदाहिं प्रेम मरम जाने बिना मरि कोउ जीवत नाहिं...

आगु गई हुति भोर ही हों रसखानि, रई बहि नंद के भौनंहि। बाको जियों जुगल लाख करोर जसोमति, को सुख जात कहमों नहिं।...

खेलत फाग सुहाग भरी, अनुरागहिं लालन क धरि कै । भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥ गेरत लाल गुलाल लली, मनमोहन मौज मिटा करि कै । जात चली रसखान अली, मदमस्त मनी मन कों हरि कै ॥...